रूस यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़े अनाज के दाम, क्योंकि विदेशों में बढ़ा निर्यात


रूस यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़े अनाज के दाम, क्योंकि विदेशों में बढ़ा निर्यात

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पाम ऑयल, धान और गेहूं के दामों में भारी उछाल आया है क्योंकि भारत से इनकी डिमांड विदेशों में बढ़ गई है। इसके चलते श्योपुर मंडी में इन फसलों के दामों में 300 रुपए से लेकर 500 रुपए प्रति क्विंटल तक दाम बढ़ गए हैं।


रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण भारत से गेहूं और धान की डिमांड विदेशों में बढ़ गई है। 

इसके चलते श्योपुर में अब तक 2 हजार रुपए प्रतिक्विंटल चल रहा गेहूं 2300 रुपए प्रतिक्विंटल पर पहुंच गया है। धान 3200 से बढ़कर 3800 रुपए प्रतिक्विंटल पहुंच गई है। इससे किसानों को फायदा मिल रहा है। इधर सरसों के भाव भी मंडी में 6600 रुपए प्रतिक्विंटल मिल रहे हैं। ऐसे में अब आटा और चावल के दामों में बढ़ोतरी होगी जिससे महंगाई की मार एक बार फिर आम आदमी पर पड़ेगी।


इसी तरह युद्ध के असर से निर्माण सामग्री भी महंगी हो गई है, 

यहां सरिया और सीमेंट पर 50 रुपए तक की बढ़ोतरी हो गई है। युद्ध का असर इसलिए है क्योंकि गेहूं और सूरजमुखी के तेल को बेचने में सबसे बड़ा निर्यातक रूस है और यूक्रेन भी गेहूं का बड़ा निर्यातक है, लेकिन युद्ध के चलते दोनों ही देशों से गेहूं का निर्यात रुक गया है। ऐसे में भारत से इनका निर्यात बढ़ गया है, नतीजा यहां गेहूं और धान दोनों के दामों में बढ़ोतरी हो गई है।

श्योपुर में फिलहाल सरसों के तेल के दाम 175-180 रुपए प्रतिकिलो तक चल रहे है, लेकिन रिफाइंड तेल के दामों में 10 रुपए की बढ़ोतरी हुई है जो कि 180 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया है। नतीजा अब रिफाइंड के बजाए लोगों का रुझान सरसों तेल की ओर बढ़ गया है। यहां पैकिंग में सरसों तेल 180 रुपए प्रतिलीटर मिल रहा है और मिल पर इसके दाम 175 रुपए प्रति किलो चल रहे है। व्यापारी की मानें तो युद्ध जारी रहा तो सरसों तेल के दामों में भी अब बढ़ोतरी की संभावना है, क्योंकि रिफाइंड बढ़ने के बाद सरसों तेल की मांग लगातार बढ़ रही है।

युद्ध के चलते बढ़ रहे दाम

रूस और यूक्रेन गेहूं के बड़े निर्यातक हैं, लेकिन युद्ध के चलते भारत से गेहूं और धान का निर्यात बढ़ गया है। ऐसे में धान और गेहूं के दामों में 300-500 रुपए प्रतिक्विंटल तक का उछाल आया है। उधर पॉम ऑयल महंगा होने से रिफाइंड के दामों में भी उछाल है, हालांकि सरसों तेल फिलहाल स्थिर है। ओम राठौर, व्यापारी, श्योपुर कृषि मंडी

दाम बढ़ने के साथ भाड़ा भी बढ़ा, खपत भी होने लगी है कम

युद्ध का असर सिर्फ गेहूं, रिफाइंड और धान पर ही नही है बल्कि विदेशों में महंगे हुए पेट्रोल-डीजल के चलते भी वाहनों का भाड़ा बढ़ गया है। जिसका असर है कि यहां रिफाइंड तेल और पॉम ऑयल समेत डालडा (सूर्यमुखी तेल) के दाम भी 200 रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच गए है। क्योंकि रसिया सूर्यमुखी तेल का भी बड़ा निर्यातक है। इसके चलते श्योपुर में डालडा के दामों में बढ़ोतरी हो गई है। ऐसे में यहां इसकी खपत अब कम होने लगी है।

युद्ध जारी रहा तो किसान समर्थन पर नहीं बेचेंगे सरसों और गेहूं

यूक्रेन और रूस का युद्ध जारी रहा तो मंडी में गेहूं और सरसों दोनों के ही दाम लगातार बढ़ेंगे। ऐसे में समर्थन मूल्य पर गेहूं किसान बेचेगा ही नही। क्योंकि समर्थन मूल्य पर 2015 रुपए प्रतिक्विंटल के दाम है जबकि मंडी में गेहूं 2300 रुपए बिक रहा है। वही सरसों के दाम समर्थन पर लगभग 5400 रुपए प्रति क्विंटल है और वही मंडी में सरसों के दाम 6600 रुपए प्रतिक्विंटल तक मिल रहे है। नतीजा यहां किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं-सरसों मुश्किल बेचेंगे।



CRAZY EDU TIPS

My self Umesh raj from raxaul east champaran bihar. I am a student of pg (mathematics) from vksu ara. And teach math for competitive examination.

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for feedback

और नया पुराने