- भारत एक परिचय
- भारतीय सभ्यता व संस्कृति का विकास सिन्धु घाटी सभ्यता से माना जाता है, जो अपने विशाल साम्राज्यों, व्यापार, सांस्कृतिक विकास व आर्थिक सफलताओं के लिए जानी जाती है।
- इसका नाम आर्यावर्त, उत्तर भारत में बसने वाले आर्यों के नाम पर किया गया है। इन आर्यों के शक्तिशाली राजा भरत के नाम पर यह भारतवर्ष कहलाया।
- वैदिक आर्यों का निवास स्थान सिन्धु नदी घाटी में था। ईरानियों ने इस नदी को हिन्दू नदी तथा इस देश को हिन्दुस्तान कहा। यूनानियों ने सिन्धु नदी को इण्डस तथा इस देश को इण्डिया कहा।
- अवस्थिति एवं विस्तार
- एशिया महाद्वीप के दक्षिण-मध्य भाग में स्थित भारत विविधताओं का देश है। इसके चतुष्कोणीय आकार और अवस्थिति ने इसे विशिष्ट भौतिक विविधता प्रदान की है। इस देश के उत्तर में ऊँचे हिमालय पर्वत, मध्य में विशाल नदी द्रोणियाँ, उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी भाग में वनाच्छादित पहाड़ियाँ तथा उत्तरी-पश्चिमी भाग में रेतीले मरूस्थलों का विस्तार है।
- यह उत्तर में हिमालय पर्वत, उत्तर-पश्चिम में हिन्दुकुश व सुलेमान श्रेणियाँ, उत्तर-पूर्व में पूर्वाचल पहाड़ियाँ तथा दक्षिण में विशाल हिन्द महासागर से सीमांकित एक वृहत भौगोलिक इकाई है, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप (Indian Sub-Continent) कहा जाता है।
- भारतीय उपमहाद्वीप के अन्तर्गत भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, और पाकिस्तान सहित कुल पाँच देश आते हैं
- क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत से बड़े देशों का क्रम इस प्रकार है-रूस > कनाडा > चीन > संयुक्त राज्य अमेरिका > ब्राजील > ऑस्ट्रेलिया: भारत।
- भारत अक्षांशीय एवं देशांतरीय दृष्टि से क्रमशः उत्तरी गोलार्द्ध और पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित है।
- भारत की मुख्य भूमि दक्षिण से उत्तर 8°4' से 37°6' उत्तरी अक्षांशों एवं पश्चिम से पूर्व 68°7' से 97°25' पूर्वी देशांतरों के मध्य विस्तृत है।
- यदि हम भारत के द्वीप समूहों को सम्मिलित करते हैं तब इसका दक्षिण में विस्तार 6°45' उत्तरी अक्षांश से शुरू होता है। इस प्रकार सम्पूर्ण भारत का अक्षांशीय विस्तार 6°45' (बंगाल की खाड़ी में अवस्थित) से 37°6' उत्तरी अक्षांशों के मध्य है।
- भारत का उत्तरी बिन्दु इंदिरा कॉल हैं, जो जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है।
- भारत की मुख्य भूमि का दक्षिणतम बिन्दु कन्याकुमारी या केप कमोरिन अंतरीप है, जो तमिलनाडु राज्य में स्थित एक द्वीप है।
- मुख्य भू-भाग के दक्षिण-पूर्व में, अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह (बंगाल की खाड़ी में) तथा दक्षिण-पश्चिम में लक्षद्वीप द्वीप समूह (अरब सागर) स्थित हैं।
- भारत का सबसे दक्षिणी बिन्दु इंदिरा प्वाइंट (Indira Point) है जो अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह के ग्रेट निकोबार द्वीप का दक्षिणी बिन्दु (6°45' उत्तरी अक्षांश) है। यह वर्ष 2004 में सुनामी लहरों के कारण समुद्र में जलमग्न हो गया था। इस बिन्दु को पहले पिग्मेलियन प्वाइंट या पारसन प्वाइण्ट के नाम से भी जाना जाता था। भूमध्य रेखा से इसकी दूरी 876 किमी. है।
- देश की चतुर्दिक अन्तिम सीमा बिन्दु
- दक्षिणतम बिन्दु : इन्दिरा प्वाइंट (ग्रेट निकोबार द्वीप)
- उत्तरतम बिन्दु : इन्दिरा कॉल (जम्मू-कश्मीर)
- पश्चिमोत्तर बिन्दु : गौरमोता या गुहार मोती (गुजरात)
- पूर्वोत्तर बिन्दु : किबिथु (अरूणाचल प्रदेश)
- मुख्य भूमि की दक्षिण सीमा : कन्याकुमारी (8°4' उत्तरी अक्षांश) तमिलनाडु
अक्षांशीय एवं देशान्तरीय विस्तार का प्रभाव
- भारत का अक्षांशीय एवं देशान्तरीय विस्तार लगभग समान (30°) है, परंतु भूमि पर दोनों में वास्तविक दूरी समान नहीं है क्योंकि दो देशांतरों के बीच की दूरी ध्रुवों की ओर कम होती जाती है, जबकि दो अक्षाशों के बीच की दूरी लगभग सर्वत्र एक समान रहती है। इसलिए भारत का पूर्व से पश्चिम का विस्तार उत्तर से दक्षिण के विस्तार की अपेक्षा कम प्रतीत होता है। भारत की उत्तर से दक्षिण की वास्तविक दूरी पूर्व से पश्चिम की वास्तविक दूरी से 281 किमी. कम है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि, भारत की मुख्य भूमि की आकृति चतुष्कोणीय है।
अक्षांशीय विस्तार का प्रभाव
- कर्क रेखा (Tropic of Cancer) या 23½° उत्तरी अक्षांश देश के लगभग मध्य भाग से आठ राज्यों (गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड की राजधानी राँची, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा एवं मिजोरम) एवं पड़ोसी देश बांग्लादेश से होकर गुजरती है।
- 23½° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य उष्ण कटिबंध का विस्तार है।
- कर्क रेखा (23½° उत्तरी अक्षांश) भारत को लगभग दो बराबर भागों (उत्तरी भारत एवं दक्षिणी भारत) में बाँटती है, जिसका दक्षिणी हिस्सा उष्ण कटिबंध और उत्तरी हिस्सा उपोष्ण कटिबंध या कोष्ण शीतोष्ण कटिबंध कहलाता है। अतः भारत का विस्तार उष्ण एवं उपोष्ण दोनों कटिबंध में है। अधिक अक्षांशीय विस्तार का प्रभाव दिन और रात की अवधि पर भी पड़ता है। केरल में सबसे छोटे एवं सबसे बड़े दिन में 45 मिनट का अन्तर है जबकि लेह (जम्मू-कश्मीर) में यह अन्तर 5 घंटे का है।
- विषुवत रेखा से काफी दूरी पर स्थित भारत के उत्तरी भाग (जम्मू कश्मीर) में सूर्य की किरणें अत्यन्त तिरछी पड़ती हैं, जिसके परिणामस्वरूप यहाँ सूर्यातप कम मिलता है और शीत ऋतु में अत्यधिक ठंड पड़ती है। इसके विपरीत भारत का दक्षिणी भाग (केरल और तमिलनाडु राज्य) विषुवत रेखा से काफी निकट है अतः यहाँ सूर्य की किरणें अपेक्षाकृत लम्बवत (सीधी) पड़ती हैं और सूर्यातप अधिक मिलता है।
- देशान्तरीय विस्तार का प्रभाव
- 82½° पूर्वी देशान्तर इलाहाबाद के निकट मिर्जापुर से होकर गुजरती है। इस देशान्तर रेखा (याम्योत्तर) को भारत की मानक देशान्तर रेखा भी कहा जाता है। यह भारत के पाँच राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्र प्रदेश) से होकर गुजरती है।
- मानक माध्याह्न रेखा चुनते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि, वह देश के बीचों-बीच से गुजरती हो तथा 7°30' का गुणांक हो ताकि 7°30' देशान्तरीय दूरी पर स्थित स्थानों के बीच 30 मिनट का समयान्तर हो।
- पृथ्वी 24 घंटे में 360° घूम जाती है, अतः 1° देशान्तरीय दूरी तय करने में पृथ्वी को 4 मिनट का समय लगता है
- भारतीय मानक समय (82½° पूर्वी देशान्तर) ग्रीनविच माध्य समय या ग्रीनविच मीन टाईम (GMT) या 0° देशान्तर से 5 घंटे, 30 मिनट आगे है।
- भारतीय मानक समय के कारण ही भारत में घड़ियाँ सभी जगह एक ही समय बताती हैं जबकि पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में सूर्योदय गुजरात (कच्छ) की तुलना में लगभग 2 घंटे पहले होता